Background

संकट मोचन हनुमान मंदिर, जो अरावली पहाड़ियों पर दिल्ली जयपुर राजमार्ग पर स्थित है। यह आध्यात्मिक पर्यावरण के अद्भुत स्थानों में से एक है। इस मंदिर में भगवान हनुमान की 41 फीट बड़े आकार की मूर्ति एक पहाड़ी के कोने को अद्भुत दृश्य देती है। जयपुर-दिल्ली हाइवे पर जलमहल के पास बंध की घाटी में स्थित श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर दशकों पुराना है। मंदिर का नवीनीकरण जयपुर के प्रवेश द्वार को और भी आकर्षक बनाता है। मंदिर में दक्षिण या पूर्व दिशा के प्रवेश द्वार से प्रवेश किया जा सकता है, जहाँ पूर्व द्वार पर पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है। मंदिर के दक्षिण द्वार की ओर हनुमान जी की ध्यान मुद्रा में विशाल मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति दिल्ली जाने वाले हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करती है। मंदिर के नजदीक प्रसिद्ध श्री अन्नर्पूणेश्वरी देवी मंदिर तथा मनोरम पर्यटक स्थल जल महल भी स्थित है।

अद्भुत है मंदिर का इतिहास

कई वर्ष पूर्व गंगा सहाय मीणा नाम का ग्वाला अपनी गाय को बेचने हेतु गाय के मेले में गया। वहां पर उसकी गाय रस्सी छुड़ाकर भाग गई। कई जगह देखने पर भी उसे अपनी गाय नहीं मिली। इससे वह बहुत दुखी हो गया क्योंकि वह बहुत गरीब ग्वाला था। अपनी गाय की खोज में वह जंगल-जंगल भटक रहा था। तभी उसकी नजर पत्तों से ढके हुए एक स्थल पर पड़ी। उसने उस जगह की साफ सफाई की , पत्ते हटाए, तो वहां पर उसे पत्तों से ढकी हुई हनुमान जी की मूर्ति दिखाई थी। उसने वहां पर बड़ी श्रद्धा से हनुमान जी से प्रार्थना की, कि वह बहुत ही निर्धन परिवार से है और यह सोचकर यहां पर आया था की गाय को बेचकर कुछ पैसे प्राप्त होंगे, जिससे वह अपने परिवार का लालन पालन कर पाएगा। परंतु गाय खो जाने के कारण वह बहुत ही परेशान होकर हनुमान जी से श्रद्धा पूर्वक प्रार्थना करने लगा और कहने लगा ‘हे हनुमान जी आप मेरी गाय को मुझसे मिला दीजिए, अगर मुझे मेरी गाय फ़िर से मिल जाएगी तो मैं आपके यहां भोग लगाऊंगा।

यह कहकर जैसे ही वह उस स्थल से नीचे उतरा तो उन्हें अपनी गाय नीचे खड़ी हुई मिली। वह बहुत खुश हुआ और ग्यारस के दिन उसने हनुमान जी के भोग लगाया तथा प्रण किया की हर महीने की ग्यारस को वह यहां आकर हनुमान जी के भोग लगाएगा। इसी क्रम में अन्य ५-६ लोग भी इसमें शामिल हो गए। इस प्रकार धीरे धीरे मंदिर का विकास प्रारंभ होने लगा।

यह ग्वाला कोई और नहीं मंदिर के ही संस्थापक श्री गंगा सहाय जी मीणा है, जिन्होंने 1965 में मंदिर की स्थापना की । इसके पश्चात 1980 में मंदिर की 11 सदस्य समिति का गठन किया गया। मंदिर के रजिस्ट्रेशन का कार्य 1995 - 96 में किया गया। सन 1995 में ही मंदिर में शिवालय बनाया गया। इसके पश्चात सन 2002 में राम दरबार तथा 2009 में गणेश जी के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इसके पश्चात सन 2012 में गंगा सहाय जी वैष्णो देवी मंदिर गए, वहां पर से वैष्णो देवी का मंदिर बनाने हेतु तीन पत्थर लेकर आए और संकट मोचन मां शेरावाली मंदिर की स्थापना की। सन 2015 में मंदिर में पहाड़ी के एक कोने पर 41 फीट ऊंचाई की विशाल हनुमान जी की प्रतिमा प्रतिष्ठित की गई। इस विशाल प्रतिमा को बनाने का कार्य केरल के कुशल कारीगरों द्वारा लगभग 2 साल में पुर्ण किया गया, जिसका लोकार्पण त्रिवेणी के महाराज श्री नारायण दास जी द्वारा अपने कर कमलों द्वारा दिनांक 18 जुलाई 2015 को किया गया । इसके पश्चात सन 2018 में छोटी काशी का मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया।
मुख्य आकर्षण
  • संकट मोचन सिद्ध श्री हनुमान मंदिर
  • मंदिर के बाहर हनुमान जी की विशाल मूर्ति
  • राम दरबार
  • शिव मन्दिर में द्वादश ज्योर्तिलिंग प्रतिमा
  • संकट मोचन माँ शेरावाली का मंदिर
  • छोटी काशी का मंदिर

वार्षिक कार्यक्रम
पौष बड़ा महोत्सव
माह जनवरी का द्वितीय शनिवार
माँ वैष्णो देवी पाटोत्सव
16 अप्रैल
सीताराम जी पाटोत्सव
25 अप्रैल
गणेश जी पाटोत्सव
19 मई
41 फीट हनुमान पाटोत्सव
18 जुलाई
कावड़ यात्रा
श्रावण मास (सावन)
श्रीकृष्ण पाटोत्सव
(छोटी काशी)
15 सितम्बर
शारदीय नवरात्र
(अश्विन नवरात्रा)
दीपावली स्नेह मिलन एवं अन्नकूट महोत्सव
होली स्नेह मिलन
(धूलण्डी)
हनुमान जयन्ती
चैत्र नवरात्र अनुष्ठान

बुनियादी सेवाएं
  • रसोई-4
  • प्रसाद
  • पेयजल
  • सत्संग हॉल-4
  • कुसुम वाटिका
  • शूज रैकस
  • सोलर पैनल
  • सीटिंग बेंच
  • फाउंटेन
  • सीसीटीवी सुरक्षा
  • कार्यालय
  • जनसुविधा
  • डस्टबिन

हनुमान जी की महिमा
जब हनुमान जी ने लंका का दहन किया था, तो उस समय बहुत से जीव जंतु उस दहन में जल गए थे। उसके लिए हनुमान जी को यह प्रायश्चित करना था कि ब्रह्म के निमित्त ब्राह्मण भोज कराने से ब्रह्म हत्या का दोष कम होगा। कोई भी भक्त हनुमान जी के कृपा प्राप्ति के लिए हनुमान जी के निमित्त कितने ही ब्राह्मण जीमाए तो उसे हनुमान जी की कृपा प्राप्त होगी। यहाँ पर भक्त हनुमान जी को भोग लगाकर ब्राह्मण को जीमाए व दक्षिणा देकर ब्रह्म की कृपा की प्राप्ति करे।
हनुमान जी भक्तों के उसी प्रकार कार्य सिद्धि एवं मनोकामना पूर्ण करते हैं, जैसे राम जी के कार्यों की सिद्धि की थी। भगवान राम को भी हनुमान जी की सहायता लेनी पड़ी थी, हमें भी हनुमान जी की सहायता मिले अतः हनुमान जी की भक्ति करनी चाहिए।
"जय जय जय हनुमान गोसाई, कृपा करो गुरुदेव के नाई।"
भोग
  • गेहूं का चूरमा
  • रोट
  • गुड-चने
  • बूंदी के लड्डू
  • पान का बीड़ा
  • तुलसी माला
  • दाने
  • बर्फी
  • विशेष प्रसाद हेतु मंदिर के पुजारी से संपर्क करें।
पोशाक : पोशाक बनवाने हेतु पुजारी से संपर्क करें|
हनुमान जी का चोला : सिंदूर, चमेली, देसी घी, चांदी के वर्क, प्रसाद, फूल-माला, अगरबत्ती, दीया-बत्ती आदि